66
मुन्सिफ़ हाज़िर हो
ऐ अदालत तेरे आँखों में हैं क़ातिल के नुक़ूश,
और तेरे सर पे, बड़ी बेटी की शादी तय है,
इक बड़ी दौरी को भरना है, तुझे वर है सही,
अस्मत ए अद्ल1 को बेचेगा, तू रंडी की तरह.
मरने वाले का मैं वालिद, तू है बेटी का पिता,
हार जाऊंगा मुक़दमा मैं, बड़ा मुफ़लिस हूँ.
मशविरा है ये मेरा, छोड़ो अदालत के तवाफ़2,
सब्र कर डालो, मुक़दमे का न चक्कर पालो,
बख्श दें मुद्दई हर छोटे गुनह गारों को,
और बड़े से तो ये बेहतर है, कि ख़ुद ही निपटें,
कल की बातें हैं अदालत, ये गवाही, ये वकील,
आज पैसे का खिलौना है ये ज़हरीला निजाम3.
नहीं इंसाफ यहाँ, है तो तबाही है यहाँ,
यह बना होगा कभी सिद्क़4 की मीनारों पर,
आज यह सब से बड़ा रिशवतों का अड्डा है.
तुम ज़मीरों में बसे हो तो, बहादर भी बनो,
वरना बुज़दिल की तरह जा के ख़ुद कुशी कर लो .
1 न्याय की मर्यादा 2 परिक्रमा 3 व्योवस्था 4 सत्य
مُنصف حاضر ہو
،ائے عدالت تری آنکھوں میں ہیں ، قاتل کےنقوش
،اور ترے سر پہ بڑی بیٹی کی شادی طے ہے
،عظمتِ عدل کو بیچے گا تو رنڈی کی طرح
،مرنے والے کا میں والد ہوں ، تو بیٹی کا پتا
ہار جاؤنگا مُقدمہ ، کہ بہت مُفلس ہوں ٠
،مشورہ ہے یہ مرا ، چھوڑو عدالت کا طواف
،صبر کر ڈالو مُقدمے کا نہ چکّر پالو
،بخش دیں مُدعی ہر چھوٹے گُنہگاروں کو
اور بڑوں سے تو یہ بہتر ہے ، کہ خود ہی نپٹیں ٠
،کل کی باتیں ہیں عدالت ، یہ گواہی ، یہ وکیل
،آج پیسوں کا کھلونہ ہے، یہ بوسیدہ نظام
،یہ بنا ہوگا کبھی صِدق کے میناروں پر
آج یہ سب سے بڑا رِشوتوں کا ا ڈ ڈا ہے ٠
،تم ضمیروں میں بسے ہو تو بہادر بھی بنو
مت غُلامانہ جیو بڑھ کے سنوارو یہ نظام ٠
No comments:
Post a Comment