Thursday, September 6, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 51 मौसम का चितेरा


51

मौसम का चितेरा 

बाहर निकल के देखो, मौसम का रंग क्या है ?
तूफ़ान थम चुका है ? आसार ए जिंदगी है ?
छूकर बताओ मुझको, कुछ नम हुई ज़मीं क्या ?
फ़सलों के चरिन्दे वह, क्या दूर जा चुके हैं ?
बीजों के चोर चूहे, क्या कर गए हैं रुख़सत ?
बेदार हो चुके हैं, क्या लोग इस ज़मीं के ? 
इंसानियत की फ़सलें, क्या रोपी जा सकेंगी ?
पौदों को सर पे रख्खे, रख्खे मैं थक गया हूँ.
मुरझा न जाएं खुशियाँ, मैं इनको रोप डालूँ.

موسم کا چِتیرا 

،باہر نکل کے دیکھو ، موسم کا رنگ کیا ہے 
،طوفان تھم گیا ہے ، آثار زندگی ہے 
چھو کر بتاؤ ہم کو ، کچھ نم ہوئی زمیں کیا ؟
فصلوں کے چرندے کیا ، کچھ دور جا چکے ہیں ؟
بیجوں کے چور چوہے ، کیا ہو چکے ہیں رخصت ؟
بیدار ہو چُکے ہیں کیا لوگ ، اس صدی کے ؟
انسانیت کی فصلیں ، کیا روپی جا سکیںگی ؟
،پودوں کو سر پہ رکھکھے ، میں تھک گیا ہوں یارو 
مُرجھا نہ جایں خوشیاں ، میں انکو روپ ڈالوں ٠ 

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