Monday, September 26, 2016

Junbishen 751



nazm

तुम - - -

ख़ुद को समझ रहे हो, कि रूहे रवां1 हो तुम ,
खिलक़त2 ये कह रही है, कि उसपे गरां हो तुम ।

सब फ़ारिग़ सलात3 अभी तक अजां हो तुम ,
हर सम्त है बहार,  शिकार खिजाँ4 हो तुम ।

क्यूँ चाहते हो, अपना यकीं सब पे थोप दो ,
है भूत आस्था का, वहीं पर जहाँ हो तुम ।

फ़रदा5 की कोख में हैं, सभी हल छिपे हुए ,
माज़ी6 सवार सम्त, मुखालिफ़7 रवाँ हो तुम ।

सर जिस्म पर ज़रूर है, रूहों का क्या पता ?
इसका ख़याल पहले करो, नातवाँ8 हो तुम ।

शिद्दत9 है, जंग जूई10, बेएतदाली11 है ,
आपस में लड़ रहे हो, जहाँ इम्तेहानहो तुम ।

महकूम12 गर हुए, तो रवा दारी13 चाहिए ,
कुछ और ही लगे हो, जहाँ हुक्मराँ14 हो तुम ।

कुछ ऐसे बन सको, कि तुम्हारी हो पैरवी ,
दुन्या गवाह हो, कि उरूजे-जहाँ15 हो तुम ।

'मुंकिर' जगा रहा है, उठो मर्तबा16 वालो ,
इक्कीसवीं सदी में, जहाँ है, कहाँ हो तुम।


1-प्राण-वर्धक २- अन्तर राष्ट्रिय जन समूह ३-नमाज़ अदा कर चुकना ४-पतझड़ 
५-आनेवाला कल ६-अतीत ७-उल्टी दिशा ८ -कमजोर
 ९-उग्रता १०-युद्धाभियान ११-असंतुलन १२-आधीन १३ -उचित बर्ताव 
१४-शाशक१५- दुन्या ऊपर १६-श्रेरेष्ट

تم 

خود کو سمجھ رہے ہو ، کہ روح رواں ہو تم 
خلقت یہ کہ رہی ہے کہ ، اس پہ گراں ہو تم ٠

سب فارغ صلات ، ابھی تک اذاں ہو تم 
ہر سمت ہے بہار ، شکار خزاں ہو تم ٠

کیوں چاہتے ہو اپنا یقین سب پہ تھوپ دن 
ہے بھوت آستھا کا وہیں پر، جہاں ہو تم ٠

فردہ کے کوکھ میں ہیں ، سبھی حل چھپے ہوئے 
ماضی سوار ، سمت مخالف رواں ہو تم ٠

سر جسم پر ضرور ہے روحوں کا کیا پتہ 
اس کا خیال پہلے کرو، ناتواں ہو تم ٠

شدّت ہے ، جنگ جوی ہے ، اعتدالی ہے 
آپس میں لڑ رہے ہو ، جہاں امتحاں ہو تم ٠

محکوم جب ہوئے تو ، روا داری چاہئے ،
کچھ اور ہی لگے ہو ، جہاں حکمراں ہو تم ٠

کچھ ایسے بن سکو ، کہ تمہاری ہو پیروی 
دنیا گواہ ہو کہ ، عروج جہاں ہو تم ٠

منکر' جگا رہا ہے اٹھو ! اہل مرتبہ 
اکیسویں صدی میں جہاں ہے ، کہاں ہو تم ٠   

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