Friday, August 5, 2016

Junbishen 743

Ghazal
खुद से चुनी अज़ीयत 
रोज़ा नफ़िल तहारत 

तामीर है नफी में 
है इक जुनूं इबादत 

दो बीवी तेरह बच्चे 
अल्लाह तेरी रहमत 

सब्र ओ रज़ा का चेहरा 
दर पर्दा ए बुखालत 

बे तुख्म का बशर था 
सुबहान तेरी क़ुदरत 

इज्ज़त दे चाहे ज़िल्लत 
मल्हूज़ हो दयानत 

मशहूर हो रहा है 
मुंकिर बफ़ज्ल ए तोहमत 

غزل 

خود سے چنی اذیت 
روزہ ، نفل طہارت ٠ 

تعمیر ہے نفی میں 
ہے اک جنوں عبادت ٠ 

دو بیوی تیرہ بچے 
الله تیری رحمت ٠ 

صبر و رضا کا پیکر 
در پردہ ہے بخالت ٠ 

مفلوج ہو گے ہو 
کیوں بھا گئی قناعت ٠ 

بے تخم کا بشر تھا 
سبحان تیری قدرت ٠ 

عزت دے چاہے ذلّت 
ملحوظ ہو دیانت ٠ 

مشہور ہو رہا ہوں
منکر بفضل تہمت 

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