ग़ज़ल
आलम ए गुम की चीज़ होती है,
जान कितनी अज़ीज़ होती है.
अच्छा शौहर गुलाम होता है,
अच्छी बीवी कनीज़ होती है.
बात बिगडे तो जाए रुसवाई,
बात बन कर तमीज़ होती है.
मुफ़्त का मॉल खाने वालों की,
खाल कितनी दबीज़ होती है.
फिल्म बे दाग़ रहनुमाओं की ,
देखिए कब रिलीज़ होती है.
बे ख़याली में लम्स की बोटी,
हाय कितनी लज़ीज़ होती है.
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*कनीज़=दासी * दबीज़=मोटी*लम्स=स्पर्श
GHazal
عالم گم کی چیز ہوتی ہے
جان کتنی عزیز ہوتی ہے ٠
اچھا شوھر غلام ہوتا ہے
اچھی بیوی کنیز ہوتی ہے ٠
بات بگڑے تو جاے رسوائی
بات بن کر تمیز ہوتی ہے ٠
مفت کا مال کھانے والوں کی
کھال کتنی دبیز ہوتی ہے ٠
فلم بے داغ رہنماؤں کی
دیکھئے کب رلیز ہوتی ہے ٠
بے خیالی میں لمس کی بوٹی
ہاۓ ! کتنی لذیز ہوتی ہے ٠
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