नज़्म
इल्म और लाइल्मी
मैं ने इक मुल्ला से पूछा,"वाक़ई क्या है खुदा?"
बोला, "हाँ!हाँ!! हाँ!!!, सौ फ़ीसदी से भी सिवा "
और दे डालीं खुदा के हक़ में, इक सौ एक दलील,
एक सौ इक नाम की, लेकर उठा फेहरिस्त तवील।
इल्म और लाइलमी
एक साइंस दाँ से दोहराया, जो मैंने यह सवाल,
कम सुख़न१ के वास्ते, कुछ भी कहना था मुहाल।
कशमकश में बोला अब तक, जो खुदा मौजूद हैं,
सब के सब साबित हुवा है, झूट तक महदूद हैं।
हाँ! मगर इम्कानो-अंदेशा2 का, मैं 'मुंकिर' नहीं,
हो भी सकता है कहीं पर इक खुदाए ला यकीं।
१-कम वाला 2 संभावनाएं और संशय
علم اور لاعلمی
میں نے اک مللہ سے پوچھا "واقعی کیا ہے خدا ؟"
بولا" ہاں ! ہاں !! ہاں !!! ، سو فیصدی سے بھی سوا "
اور دے ڈالی خدا کے حق میں اک سو ایک دلیل
ایک سو اک نام کی لیکر، کھڑا فہرشت طویل
ایک سائنس دان سے، دوہرایا جو میں نے یہ سوال
کم سخن کے واسطے ، کچھ بھی کہنا تھا محال
کش مکش میں بولا ، اب تک جو خدا موجود ہیں
سب کے سب ثابت ہوا ہے جھوٹ تک محدود ہیں
ہاں ! مگر امکان و اندیشہ کا میں منکر نہیں
ہو بھی سکتا ہے کہیں پر اک خداۓ لا یقین
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