Friday, December 19, 2008

दस्तक



दस्तक 1



घूंघट तो उठा दे तू , ज़रा क़ादिरे-मुतलक़2,

दस्तकदिए दर पे, है खड़ी भीड़ बशिद्दत3


बाज़ार तेरे ख़ैर की, बरकत की लगी है ,

अय्यार4 लगाए हैं दुकानें जो ठगी है .


तुज्जार5 तेरी शक्लें हजारों बनाए हैं ,

ख़ंजर ओ त्रिशूल, वो बाहम उठाए हैं .


अल्लाह तू बड़ा है, तू बड़ातू बड़ा है ,

शैतान है छोटा, जो मुक़ाबिल में खड़ा है .


कब तक ये फ़साना6 ये हवा छाई रहेगी ,

माजी7 की सियासत की फिज़ा छाई रहेगी .


सर पे खड़ा वक़्त, चढाए हुए तेवर ,

हो जाए  महशर8 से ही पहले कोई महशर .

 
-knocking 2-एकेश्वर -ज़ोरदार -धूर्त -ब्यापारी -मिथ्या -अतीत -प्रलय








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