Thursday, June 6, 2019

दोहे


दोहे 
तुलसी बाबा की कथा, है धारा प्रवाह ,
राम लखन के काल के, जैसे होएं गवाह।

تلسی بابا کی کتھا ، ہے دھارا  پرواہ 
رام لکھن کے کال کے جیسے ہوئے گواہ ٠

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गांधी कलि-युग में हुए अजब हैं ये अवतार,
मार काट से दूर हैं, तीर है न तलवार।

گاندھی کلیگ میں ہوئے ، عجب ہیں یہ اوتار
مار کاٹ سے دور ہیں ، تیر ہے نہ تلوار ٠

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घृणा मानव से करे, करे ईश से प्यार,
जैसे छत सुददृढ़ करै, खोद खोद दीवार।

گھرنا مانو سے کرے ، کرے ا یش سے پیار 
جیسے چھت سددرڑھ کرے ، خود خود دیوار ٠

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कित जाऊं किस से मिलूँ, नगर-नगर सुनसान,
हिन्दू-मुस्लिम लाख हैं, एक नहीं इंसान।

کت جوں کس سے ملوں ، نگر نگر سنسان 
ہندو مسلم لاکھ ہیں ، ایک نہیں انسان ٠
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कृषक! राजा तुम बनो, श्रमिक बने वज़ीर,
शाषक जाने भाइयो, बहु संख्यक की पीर।

کرشک تم راجہ بنو ، شرامک بنے وزیر 
شاشک جانے بھائیو ، بہو سنکھیک کی پیر ٠
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