Friday, December 2, 2016

Junbishen 774

रुबाईयाँ 

दिल वह्यी ओ इल्हाम से मुड जाता है, 
हक शानासियों से जुड़ जाता है,
देख कर ये पामालिए सरे-इंसान,
'मुंकिर' का दिमाग़ भक्क से उड़ जाता है. 

دل ندا و الہام سے مڑ جاتا ہے 
حق سناشیوں سے وہ جڑ جاتا ہے 
دیکھ کر یہ پامالی ے سر انسان 
منکر کا دماغ بہک سے اڑ جاتا ہے ٠ 


मुझको क्या कुछ समझा, परखा तुम ने ,
या अपने जैसा ही जाना तुमने,
मेरे ईमान में फ़र्क़ लाने का ख़याल ,
चन्दन पे गोया सांप पाला तुमने . 

مجھ کو کیا کچھ ، سمجھا بوجھ تم نے 
یا اپنے جیسا ہی ، جانا تم نے 
میرے ایماں میں ، فرق لانے کا خیال 
چندن پہ ہے گویہ ، سانپ پالا تم نے ٠ 


हो सकता है ठीक दमा, मिर्गी ओ खाज,
बख्श सकता है जिस्म को रोगों का राज,
तार्बियतों* की घुट्टी पिए है माहौल, 
मुश्किल है बहुत मुंकिर ज़ेहनों का इलाज.
*संस्कार 
ہو سکتا ہے ٹھیک ، دما مرگی و کھاج 
بخش سکتا ہے جسم کو روگوں کا راج
ترییتوں کی گھٹی پیے ہے ماحول 
مشکل ہے بہت منکر ذہنوں کا علاج 

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