Tuesday, April 30, 2019

जुंबिशें - - - नज़्म - क़फ़्से इन्कलाब1


नज़्म 

क़फ़्से इन्कलाब1

हद बंदियों में करके, आज़ाद कर गए,
दी है नजात या फिर, बेदाद२ कर गए.

अरबो, अजम, हरब३ के, दर्जाते-इम्तियाज़4,
अपनों को दूसरों पर, आबाद कर गए.

जिस्मो, दिलों, दिमागों, पर हुक्मराँ हैं वह,
बे बालो पर हमें यूँ , सय्याद५ कर गए.

ज़ेहनो में भर दिया है, इक आख़िरी निज़ाम६,
हर नक्श इर्तेक़ा७ को, बरबाद कर गए.

इंसान चाहता है,  बे ख़ौफ़ ज़िन्दगी,
वह सहमी सी, ससी सी, इरशाद८ कर गए.

इक्कीसवीं सदी में, आया है होश 'मुंकिर',
उनके सभी सितम को, फिर याद कर गए.

१-इन्कलाब का पिंजडा २-जुल्म ३-मुल्कों की इस्लामी श्रेणी ४पदोन का अन्तर
५-आखेटक ६- व्यवस्था ७-रचनात्मक चिन्ह ८-फरमान


 قفسِ انقلاب

حد بندیوں میں کر کے، آزاد کر گئے ہیں 
دی ہے نجات یا پھر ، بیداد کر گئے ہیں ٠

اہل عرب ، عجم پر ، مسکین  ہندیوں پر 
اپنوں کو دوسروں پر ، آباد کر گئے ہیں ٠

جسموں و دل و دماغوں ، پر راج کر رہے ہیں
بے بال و پر ہمیں وہ ، صیاد کر گئے ہیں ٠

ذہنوں میں بھر دیا ہے اک آکری نظام
تصویرِ ارتقائی ، برباد کر گئے ہیں ٠

مفروضہ حادثاتی ، محشر میں  مبتلا ہم 
وہ سہمی زندگی کو ، ارشاد کر گئے ہیں ٠

اِکیسویں صدی میں ، آیا ہے ہوش 'منکر'٠
اُنکے سبھی ستم کو ، ہم یاد کر گئے ہیں ٠  

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