Friday, March 16, 2018

जुंबिशें - - - तमहीद




मअज़रत

मेरे यारो ! न गर बुरा मानो,
देर तक मेरे पास मत बैठो,
मेरी दुल्हन उदास होती है,
तनहा पाकर ही पास होती है. 

मेरी दुल्हन है मेरी तन्हाई,
लेके आती है ऐसी अंगड़ाई,
कायनातों का राज़ देती है,
शेर माँगूं बयाज़2 देती है. 
१ क्षमा याचना २ कविता-पोथी 

معذرت

میرے یارو نہ گر بُرا مانو، 
دیر تک میرے پاس مت بیٹھو، 
میری دُ لہن اُداس ہوتی ہے، 
تنہا پا کر ہی پاس ہوتی ہے.
میری دُلہن ہے میری تنہائی، 
لے کے آتی ہے ایسی انگڑائی، 
کائناتوں کا راز دیتی ہے، 
شعر مانگوں، بیاض دیتی ہے٠

No comments:

Post a Comment