दोहे
ससुरी माया जाल को, सर पे लिया है लाद,
अपने दुश्मन हो गए, रख कर ये बुन्याद.
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हिन्दू मुलिम लड़ मरे, मरे रज़ा और भीम,
सुलभ तमाशा बैठ के, देखें राम रहीम.
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मानव-जीवन युक्ति है, संबंधों का जाल,
मतलब के पाले रहे, बाकी दिया निकाल.
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नादानों की सोच है ऐसा बने विधान,
वैदिक युग में जा बसे अपना हिदुस्ता.
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इंसानी तहजीब के मिटे हैं कितने रूप,
भगुवा, हरिया टर रटें , खोदें मन में कूप.
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अल्ला को तू भूल जा, मत कर उसका ध्यान,
अल्ला की मखलूक का, पहले कर कल्यान.
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सबसे अच्छी बात है, दुन्या हो महबूब,
अपने आप से प्यार कर, जीवन से मत ऊब.
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जय हो!
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