tag:blogger.com,1999:blog-8825012229095200854.post4326637157720204107..comments2023-10-23T14:32:22.688-07:00Comments on जुंबिशें: Bedariyan 301Munkirhttp://www.blogger.com/profile/06892062753294499676noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8825012229095200854.post-86762263848608584562014-06-17T04:07:55.828-07:002014-06-17T04:07:55.828-07:00बसनाभूषन धार जूँ, दुल्हन लागे ठूँठ ।
सुठि सुठि सब...बसनाभूषन धार जूँ, दुल्हन लागे ठूँठ । <br />सुठि सुठि सब्द सिँगार तौं, आगे साँच प्रति झूठ ।१६१६। <br /><br />भावार्थ : -- दुहन के वस्त्र आभूषण धारण कर जिस प्रकार खूंटी भी दुल्हन लगती है वस्तुत: वह दुल्हन होती नहीं । उसी प्रकार सुन्दर सुंदर शब्दों का श्रृंगार कर प्रत्येक झूठ भी सत्य ही लगता है वस्तुत: वह सत्य होता नहीं।। Neetu Singhalhttps://www.blogger.com/profile/14843330374912315760noreply@blogger.com